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Monday, 19 December 2011

Mene dekha



कई बार देखा
पलट कर देखा
मुड़कर देखा
रूककर देखा
चलते हुए देखा
हर शय से देखा
हर फ्रेम से देखा
हर आकार से देखा
हर रूप से देखा
हर तरफ से देखा
हर मुड से देखा

एक शरीर मगर रूप अनेक
रूप एक तो छवियां अनेक
छवि एक तो भाषा अनेक
भाषा एक तो जुबान अनेक
जुबान एक तो शब्द अनेक
शब्द एक तो कहानी अनेक
कहानी एक तो किरदार अनेक
किरदार एक तो श्रोता अनेक
श्रोता एक तो कदरदान अनेक
कदरदान एक तो कल्पनाएं अनेक

उनमें कई लोग, जब भी देखा बदलते देखा